ग्वालियर। प्रदेश में वर्ष 2020-21 की आबकारी नीति में देशी/विदेशी मदिरा की फुटकर दुकानों के बड़े समूह बनाये जाने से मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि सीमावर्ती प्रांतों के मदिरा लायसेंसधारियों में भी उत्साह नजर आ रहा है। बड़े मदिरा समूहों के निर्माण से मदिरा के अवैध व्यापार पर प्रभावी नियंत्रण रखा जा सकेगा। इससे अस्वस्थ व्यवसायी प्रतिस्पर्धा समाप्त होगी और मदिरा उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता की वैध मदिरा उचित मूल्य पर उपलब्ध हो सकेगी। वर्ष 2020-21 के लिये घोषित आबकारी नीति से राज्य के राजस्व संवर्धन में नया प्रतिमान स्थापित होने की संभावना है। आबकारी आयुक्त श्री राजेश बहुगुणा ने इस सिलसिले में प्रदेश के और सीमावर्ती प्रांतों के मदिरा अनुज्ञप्तिधारियों से दूरभाष पर चर्चा की है।
उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 की आबकारी नीति में बड़े, मध्यम और छोटे मदिरा अनुज्ञप्तिधारियों की व्यावसायिक क्षमताओं का पूरा ध्यान रखा गया है। साथ ही नवीनीकरण/ई-टेण्डर/ई-बिडिंग जैसी पारदर्शी व्यवस्थाओं को अपनाया गया है। प्रदेश के जिन 16 जिलों की समस्त मदिरा दुकानें दो अथवा एक समूह में नीलाम होनी है, वहाँ एकाधिकारी व्यवसाय की चाह में उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा तथा दिल्ली जैसे प्रदेशों के ठेकेदारों में अत्यधिक रूचि नजर आ रही है। ये ठेकेदार विभिन्न माध्यमों से ठेकों के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं। जिन जिलों में नवीनीकरण, लॉटरी या एक समूहों में मदिरा दुकानों की नीलामी होना है, उनसे संबंधित ठेकेदारों को विभाग द्वारा समन्वय कर जानकारी मुहैया कराई जा रही है।