अंगूरी को मिली चूल्हे एवं कंडों के धुएं से मुक्ति (सफलता की कहानी)
अंगूरी को मिली चूल्हे एवं कंडों के धुएं से मुक्ति (सफलता की कहानी)

 


दतिया | दतिया जिले के ग्राम बहादुरपुर की रहने वाली अंगूरी को लकडि़यों और कंडों के धुएं से मुक्ति मिल गई है। पहले खाना बनाने के लिए जहां सुबह जल्दी उठना पड़ता था, वहीं अंगूरी अब मिनटों में ही घर का खाना बना लेती हैं।
    यह सब संभव हुआ है, उज्जवला योजना में अंगूरी को सरकार की ओर से निःशुल्क मिले गैस चूल्हा और गैस सिलेण्डर से। उज्जवला योजना से महिलाओं के स्वास्थ्य को सुरक्षा कवच मिला है। इस योजना से गरीब परिवारों की महिलाओं ने राहत की सांस ली है।
    अब अंगूरी को लकड़ी एवं कंडे इकट्ठा करने जंगल में नहीं जाना पड़ता। चूल्हे की तरह बर्तन गंदे नहीं होते। अंगूरी को चूल्हे के धुएं से हो रही खांसी और आंखों की जलन से भी मुक्ति मिल गई है। बरसात में गीली लकड़ी जल नहीं पाती थीं और जिनका धुआं आंखों में तीर की तहर चुभता था।
    उज्जवला योजना ने अंगूरी जैसी तमाम ग्रामीण महिलाओं को निःशुल्क गैस चूल्हा और सिलेण्डर मुहैया कराकर मिट्टी के चूल्हे से मुक्ति दिला दी है। अब ये महिलाएं परिवार का भोजन कम समय में बना लेती हैं और बाकी समय अन्य कार्यों में लगाती हैं। गैस चूल्हे और सिलेण्डर से खुश अंगूरी कहती हैं कि सरकार ने गरीब परिवारों की महिलाओं के लिए खाना बनाना आसान कर दिया है। खाना बनाने में अब पहले जैसी कठिनाई नहीं होती है।